शासकीय महिला चिकित्सालय (बीजीडब्ल्यू) में दवाइयों की भारी कमी मरीज हो रहे हलाकान – मरीजों को निजी मेडिकल से खरीदनी पड़ रही आवश्यक मेडिसिन

बुलंद गोंदिया। हमेशा से किसी ना किसी विवादास्पद कार्यप्रणाली के चलते वह विभिन्न कारणों से सुर्ख़ियों में रहने वाले शासकीय महिला चिकित्सालय बीजीडब्ल्यू अस्पताल में इनदिनों दवाइयों की भारी कमी खल रही है। मरीजों को शहर के मेडीकल से आवश्यक मेडिसिन खरीदी कर उपचार करवाने की नौबत आन पडी है। बताया जाता है कि डॉक्टरों व्दारा लिखित पर्ची के अनुसार अस्पताल के वितरण केंद्र पर दवा उपलब्ध नहीं रहती। पूछताछ करने पर स्वास्थ्य कर्मी अधिकारियों की ओर उंगलियां उठाकर मरीजों को गुमराह करने का काम कर रहे है। ऐसा ही मामला बुधवार 28 सितंबर की सुबह 11 बजे के दौरान सामने आते ही मरीजों में हडकंप मचा नजर आया।
गौरतलब है कि मेडीकल कॉलेज के नियंत्रण में संचालित शहर के बाई गंगाबाई महिला अस्पताल में गर्भवति महिला एवं बालकों पर उपचार किया जाता है। बताया गया कि तहसील के ग्राम गर्रा निवासी रामकृष्ण गेंदलाल पंधरे इनके बेटे कार्तिक पंधरे(3) एवं बेटी हिमांशी पंधरे(11) की अचानक तबियत बिगड गयी थी। वह दोनों बच्चों का उपचार करवाने बुधवार 28 सितंबर की सुबह 11 बजे अस्पताल पहुंचा था। उन्होंने ओपीडी के काऊंटर पर 40 रूपए देकर दोनों बच्चों के नाम की पर्ची निकाली। बालरोगतज्ञ व्दारा बच्चों के स्वास्थ्य की जांच की गई। लेकिन पर्ची पर उल्लेखित दवा वितरण केंद्र पर उपलब्ध नहीं थी। पूछताछ करने पर कार्यरत कर्मियों ने स्टॉक में दवा उपलब्ध नहीं होने खुलाशा किया। मेडिकल कॉलेज के अधिष्ठाता के.एस.घोरपडे से पूछताछ करने की बात कही। इस संबंध में रामकृष्ण ने बताया कि पर्ची पर डॉक्टर ने तीन दवा का उल्लेख किया था। जिसमें से खांसी की केफेलीन नामक एकमात्र दवा वितरण केंद्र पर दी गई। शेष दो दवा बाहर से खरीदी करने कहा गया। उन्होंने ने बताया कि पर्ची पर उल्लेखित दोनों बच्चों की दवा शहर के मेडीकल शॉप से 270 रूपये में खरीदी किया है। इस संबंध में अनेकों बार स्वास्थ्य विभाग को अवगत किया जा चुका है। बावजूद हालात सुधरते नजर नहीं आ रहे है। जिसके चलते मरीजों में स्वास्थ्य विभाग के प्रति रोष पनपता नजर आ रहा है। निर्माण समस्या को शिघ्र हल करने की मांग नागरिकों ने की है।
 दवा विक्रेता दलालों का राज
गोंदिया के शासकीय महिला चिकित्सालय में उपचार कराने के लिए गरीब और जरूरतमंद मरीज ही पहुंचते हैं। जिसमें गोंदिया शहर के साथ-साथ जिले के दुर्गम क्षेत्रों से भी मरीज यहां उपचार के लिए आते हैं, किंतु शासकीय महिला चिकित्सालय में हमेशा ही दवाइयों की भारी कमी रहती है जिसके चलते परिसर में दवा विक्रेता दलालों का राज चल रहा है। मामूली उपचार की वस्तु के लिए भी चिकित्सालय में कार्यरत कर्मचारियों द्वारा उन दलालों के पास मरीजों के परिजनों को भेजा जाता है। जिसे संभावना जताई जा रही है कि महिला चिकित्सालय में कार्यरत कर्मचारियों को चिकित्सकों को भारी कमीशन इन दलालों से प्राप्त होता है। जिसके चलते शासकीय महिला चिकित्सालय में हमेशा ही आवश्यक दवाइयों की कमी रहती है।
यदि किसी महिला मरीज का सीजर करना होता है तो उसके लिए भी 1500 से 2000 की मेडिसिन मरीज की स्थिति को देखते हुए बाहर से बुलाई जाती है , जबकि शासन के नियमानुसार सामान्य वती आवश्यक दवाइयां चिकित्सालय में हमेशा उपलब्ध होना आवश्यक है किंतु महिला चिकित्सालय में इस और वरिष्ठ वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा अनदेखी किए जाने के चलते दलालों का गोरख धंधा फल-फूल रहा है जिसके चलते आए दिन व्यवसाय प्रतिबंध प्रतिद्वंदिता के चलते दलालों का आपस में विवाद भी होते रहता है जिससे पुलिस में भी मामला दर्ज होता है।
मेडीकल से खरीदी दवा
बुधवार को बेटे और बेटी की अचानक तबीयत बिगड गई थी। बीजीडब्ल्यू अस्पताल में जांच एवं उपचार किया गया। पर्ची के अनुसार दवा वितरण केंद्र पर दवा का स्टॉक उपलब्ध नहीं था। शहर के मेडीकल से 270 रूपये की दवा खरीदना पडा।
– रामकृष्ण गेंदलाल पंधरे, गर्रा (पीड़ित पिता)
उपलब्ध दवाओं से हो रहा उपचार
दवा वितरण केंद्र में उपलब्ध दवा से मरीजों का उपचार किया जा रहा है। दवाओं का स्टॉक बढ़ाने के प्रयास जारी है।
– डॉ के.एस. घोरपड़े, डीन शासकीय मेडिकल कॉलेज गोंदिया।

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