सीमेंट रस्ते का निर्माण नहीं हुआ 10 लाख का निकला बिल, 32% बिलों में हुआ टेंडर बिल निकला पूरे 2 करोड़ 10 लाख का ,जिला परिषद बांधकाम विभाग का कारनामा, ठेकेदार ने लाखों की रॉयल्टी शासन को लगाया चूना

बुलंद गोंदिया। गोंदिया जिला परिषद में गत पौने 2 वर्षों से प्रशासक राज चल रहा है, जिसके चलते संबंधित विभागों के अधिकारियों पर किसी भी प्रकार का नियंत्रण नहीं होने से बांधकाम विभाग में मनमानी तरीके से कामकाज चल रहा है। अनेक गड़बड़ी के मामले सामने आए हैं। जिसमें मुख्य रुप से सूचना के अधिकार के अंतर्गत खुलासा हुआ कि केरझिरा तीर्थ क्षेत्र में सीमेंट मार्ग का निर्माण हुआ नहीं हुआ 10 लाख रुपए की निधि का बिल मंजूर हो चुका है।
वहीं दूसरी ओर 2 करोड़10 लाख रुपए की निधि के टेंडर जो 32% बिलों( कम दर) से हुआ था किंतु बिल पूरा 2 करोड़ 10 लाख रुपए का निकाला गया है। जिससे जिला परिषद बांधकाम विभाग की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह निर्माण हो रहा है।
गौरतलब है कि गोंदिया जिला परिषद में गत पौने 2 वर्षों से प्रशासक राज चल रहा है, तथा वर्तमान में चुनाव संपन्न होने के बावजूद अब तक पदाधिकारियों की समितियों का गठन नहीं हो पाया है। जिसके चलते पौने 2 वर्षों के दौरान जिला परिषद के सभी विभागों में अनेक खामियां व गड़बड़ी बड़े पैमाने पर हुई है इसी के अंतर्गत जिला परिषद बांधकाम विभाग के 3 प्रकरण सामने आए हैं जिसमें मार्ग का निर्माण हुआ नहीं बिल निकला, बिलों में गए टेंडर का पूरा भुगतान व मंत्री के आदेश से जांच की रिपोर्ट पेश नहीं की गई है।
पहला प्रकरण इस प्रकार है कि
जिला परिषद बांधकाम विभाग के अंतर्गत क वर्ग तीर्थ क्षेत्र योजना के तहत केरझिरा तीर्थ क्षेत्र में मंदिर से नाले तक सीमेंट मार्ग का निर्माण कार्य दिखाकर 10लाख रुपए के बिल का भुगतान किया जा चुका है। जबकि उपरोक्त स्थान पर अब तक सीमेंट मार्ग का निर्माण ही नहीं हुआ है यह गंभीर मामला सुचना के अधिकार के अंतर्गत सामने आया है जिसमें उपरोक्त क्षेत्र वन विभाग के अधीन आने के बावजूद वन विभाग से किसी भी प्रकार का ना हरकत प्रमाणपत्र नहीं लिया गया है।
दूसरा मामला यह है कि
गोंदिया तहसील के अंतर्गत आने वाले गोंडीटोला से कटगटोला तक मार्ग निर्माण के लिए 2 करोड़ की राशि मंजूर की गई थी जिसकी टेंडर प्रक्रिया के दौरान 32% बिलो (कम दर) में निविदा तिरोड़ा निवासी ठेकेदार उमेश आर असाटी द्वारा लिया गया था जिसमें उपरोक्त नियम के अनुसार एक करोड़ 34 लाख रुपए के बांधकाम का कार्यारंभ आदेश दिया गया था किंतु निविदा कम दर की होने के बावजूद बांधकाम विभाग द्वारा 2 करोड़ 10 लाख रुपए की निधि के धनादेश मंजूर किए गए हैं। जिसमें करीब 80 लाख रुपए की हेराफेरी का मामला मामले का खुलासा हुआ है। साथ ही उपरोक्त मामले में निर्माण कार्य के लिए अधीक्षक अभियंता की भी मंजूरी नहीं ली गई तथा निर्माण कार्य में 1206 ब्रास रेती, गिट्टी, मुरूम उपयोग में लाई गई जिसमें करीब 10लाख की रॉयल्टी शासन को जमा होना था। जिसका भुकतान बांधकाम विभाग द्वारा ठेकेदार को की गई थी लेकिन शासन की रॉयल्टी का पैसा जमा नहीं किया गया जिससे शासन को 10 लाख की रायल्टी का चुना लगाया गया।
तीसरा प्रकरण इस प्रकार है कि
गोंदिया तहसील के अंतर्गत आने वाले दतोरा से मोरवाही के मार्ग का निर्माण कार्य 30 लाख रुपए की निधि से किया गया था जिसमें घटिया दर्जे का निर्माण कार्य होने की शिकायत सार्वजनिक बांधकाम मंत्री अशोक चौहान से की गई थी जिस पर मंत्री द्वारा उपरोक्त मामले की जांच के आदेश दिए गए थे तथा जांच कर तत्काल उसका अव्हाल शासन को देने के निर्देश दिए गए थे किंतु अब तक उपरोक्त मामले की जांच का अव्हाल पेश नहीं किया गया तथा इस कार्रवाई को करीब 6 महीना बीत चुका है।
केरझिरा मार्ग के निर्माण के लिए वन विभाग की मंजूरी नहीं
केरझिरा में क वर्ग तीर्थ क्षेत्र योजना के अंतर्गत केरझिरा देवस्थान से नाले तक सीमेंट मार्ग के निर्माण कार्य के लिए जिला परिषद बांधकाम विभाग द्वारा 20 नवंबर 2019 को कार्यारंभ आदेश दिए जाने का उल्लेख है । जिस स्थान पर मार्ग का निर्माण किया जाना था वह क्षेत्र संरक्षित वन क्षेत्र में आने के चलते वन विभाग की मंजूरी लेना आवश्यक है। किंतु उसकी मंजूरी नहीं लिए जाने की जानकारी भी सामने आई है । इस संदर्भ में वन विभाग द्वारा 2 मार्च 2022 को सूचना के अधिकार के अंतर्गत मांगी गई जानकारी के अनुसार दिए गए पत्र में स्पष्ट किया गया है कि केरझिरा देवस्थान से नाले तक सीमेंट मार्ग का निर्माण नहीं किया गया है तथा निर्माण के पूर्व वन विभाग से मंजूरी भी नहीं ली गई है लेकिन उपरोक्त मार्ग का निर्माण नहीं हुआ है तो जिला परिषद बांधकाम विभाग द्वारा मार्ग का पूर्ण निर्माण दिखाकर 10 लाख का बिल किस आधार पर निकाला गया इस पर प्रश्नचिन्ह निर्माण हो रहा है ।
उल्लेखनीय है कि बिल निकालते समय एक सीमेंट मार्ग का फोटो जोड़ा गया है जिसमें फोटो में दिखाई गई जीपीएस भी गलत बताया गया है मार्ग का निर्माण न कर शासन की आंखों में धूल झोंकते हुए 10लाख रुपए का बिल निकाला गया है।
एक ही अधिकारी के हस्ताक्षर सब जगह
उल्लेखनीय है कि किसी भी प्रकार के कार्यों का बिल निकालते समय उस पर कनिष्ठ अभियंता, उप विभागीय अभियंता व कार्यकारी अभियंता के हस्ताक्षर होना अनिवार्य है। किंतु उपरोक्त प्रकरण में बिल के धनादेश निकालते समय सिर्फ एक ही अधिकारी प्रभारी कार्यकारी अभियंता जिला परिषद के हस्ताक्षर का मामला सामने आ रहा है।
रसीद को किया प्रमाणित रॉयल्टी माफ नहीं
गोंडीटोला कटगटोला मार्ग निर्माण कार्य के लिए लगने वाले गौण खनिज की रॉयल्टी को प्रमाणित करने का पत्र जिला परिषद बांधकाम विभाग के पत्र पर दिया गया है
जिसका यह अर्थ नहीं है कि रॉयल्टी माफ की गई है तथा रॉयल्टी माफ नहीं होती
– सचिन वाडवे जिला खनिकर्म अधिकारी गोंदिया
बांधकाम नियमानुसार
जिला परिषद बांधकाम विभाग के अंतर्गत जो कार्य किए गए हैं वह नियमानुसार होने के साथ ही गोंडीटोला- कटगटोला मार्ग की लंबाई बढ़ने से मंजूरी के लिए अधीक्षक
अभियंता की आवश्यकता नहीं तथा केरझिरा में बांधकाम हो चुका है
-ललित मुंदडा प्रभारी कार्यकारी अभियंता जिला परिषद गोंदिया

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