3000 करोड़ रुपए का 1 करोड़ कुंटल धान खराब होने की संभावना राज्य सरकार की उदासीनता खरीफ मौसम 2021-22 में शुरू नहीं हुई धान की मिलिंग

बुलंद गोंदिया। महाराष्ट्र में पूर्वी विदर्भ धान उत्पादक जिलों में के रूप में जाना जाता है। जिसमें खरीफ मौसम में 2021-22 में गोंदिया, भंडारा, चंद्रपुर, गढ़चिरौली, नागपुर जिलों में राज्य सरकार द्वारा शासकीय आधारभूत धान खरीदी केंद्रों के माध्यम से लगभग एक करोड़ कुंटल धान जिसकी लागत 3000 हजार करोड रुपए में खरीदी गया है। खरीदे गए धान की समय पर मिलिंग होने से उसके चावल का निर्माण किया जाना आवश्यक है, किंतु महाराष्ट्र सरकार की लापरवाह पूर्ण नीति के चलते अब तक इन जिलों में खरीदे गए धान की मिलिंग शुरू नहीं हो पाई है तथा खरीदे गए धान में से अधिकांश धान खुले मैदानों में असुरक्षित तरीके से रखा गया है। वर्तमान में समय-समय पर बेमौसम बारिश हो रही है।जिससे धान का सड़ना व खराब होना शुरू हो चुका है लेकिन इस और राज्य सरकार द्वारा उदासीनता बढ़ती जा रही है।
क्योंकि राइस मिलर्स मिलिंग के लिए धान नहीं उठा रहे हैं उन्हें केंद्र शासन के नए नियमों के अंतर्गत चावल का निर्माण करने में भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है।
तथा कस्टम मिलिंग की दर 10 प्रति क्विंटल तय की गई है जबकि पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश में 250 व छत्तीसगढ़ में120 प्रति क्विंटल मिलिंग दर तथा10 अतिरिक्त दिया जा रहा है ।
इस प्रकार की मांग महाराष्ट्र के राइस मिलर्स ने भी की थी किंतु इस और अब तक राज्य सरकार द्वारा किसी भी तरह का समाधान कारक निर्णय नहीं लिया गया है। उल्लेखनीय है कि गत वर्ष राज्य शासन द्वारा ही 140 क्विंटल की अतिरिक्त मिलिंग दी थी अब सरकार द्वारा मिलर्स को उनकी राशि की जप्ती , ब्लैक लिस्ट आदि की धमकी दी जा रही है। एवं राइस मिलर्स द्वारा बनाए गए चावल में से निर्माण किए गए चावल में से खराब चावल लेने का भी प्रलोभन दिया जा रहा है शासन द्वारा कस्टम मिलिंग के माध्यम से निर्माण किए गए चावल शासकीय वितरण प्रणाली में राशन दुकानों में वितरण किया जाता है । जिसमें अंत्योदय, शालेय पोषण आहार का समावेश है जिसमें महिलाएं, बुजुर्गो व बच्चों को खाने दिया जाता है। अगर चावल की गुणवत्ता खराब होंगी तो उनके स्वास्थ्य पर विपरीत परिणाम होंगे लेकिन इन सब बातों पर शासन द्वारा किसी भी प्रकार का ध्यान नहीं दिया जा रहा है। तथा केंद्र की इस योजना के प्रति उदासीन है साथ ही 2022 में गत वर्ष की तुलना में धान खरीदी की समय सीमा भी कम की गई वह लगभग 30% धान कम खरीदा गया जिससे किसानों को भी नुकसान हुआ है।
विशेष यह है कि खरीफ मौसम के धान की मिलिंग ना होने से निश्चित रूप से ही रबी मौसम की धान की खरीदी शासन द्वारा नहीं की जाएंगी या बहुत ही कम होंगी जिससे किसानों के साथ सरकार द्वारा अन्याय किया जा रहा है।
चावल का निर्माण करने के लिए राइस मिलर्स को10 प्रति क्विंटल मिलिंग दर दिया जाना अन्याय है जबकि आटा चक्की में प्रति किलो 20 तथा प्रति क्विंटल 2000 में मिलीग हो रही है।
राज्य सरकार की इसी नीति के चलते गत वर्ष विलंब से आदेश दिए जाने के फल स्वरुप 65करोड़ रुपए का 2.50 लाख कुंटल धान सड़कर खराब हो चुका है। जिससे अब मवेशियों के भी खाने लायक नहीं बचा है।
राज्य सरकार द्वारा इस विषय पर तत्काल निर्णय लें अन्यथा धान को सड़ने वह खराब होने की जिम्मेदारी वाहन करें तथा राइस मिलर्स की मांग को सरकार द्वारा जल्द से जल्द समाधान कारक हल करने की मांग गोंदिया जिला राइस मिल एसोसिएशन द्वारा की गई है।

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