डॉ.नोव्हिल ब्राम्हणकर का स्तन कैंसर सर्जरी में शतक, गर्भाशय कैंसर के 50 सफल ऑपरेशन जिले में ब्राम्हणकर हॉस्पिटल का कीर्तिमान

बुलंद गोंदिया। कैंसर आज भी एक गंभीर जानलेवा बीमारी बनी हुई है लेकिन यदि समय रहते इसका उपचार सही तरीके से किया जाए तो मरीज की जान बचाई जा सकती है। इसी श्रृंखला में गोंदिया के ब्राम्हणकर हॉस्पिटल के संचालक डॉक्टर डॉ. नोव्हिल ब्राम्हणकर द्वारा गत तीन वर्षों में महिलाओं में बड़े प्रमाण में पाए जाने वाले स्तन कैंसर की शल्यक्रिया सफलतापूर्वक किया, साथ ही 50 से अधिक गर्भाशय कैंसर के ऑपरेशन कर मरीजों को इस जानलेवा बीमारी से काफी हद तक निजात दिलाकर उनके जीवन में जीवन की रोशनी की नई किरण प्रकाशित की है।

गौरतलब है कि संपूर्ण विश्व में कैंसर एक जानलेवा बीमारी के रूप में जानी जाती है जिसमें महिलाओं में स्तन कैंसर वह गर्भाशय कैंसर का प्रमाण बड़े प्रमाण पर सामने आ रहे हैं। जिनका प्रथम चरण में उपचार वह शल्य क्रिया कर मरीज के जीवन पर मौत के संकट को काफी हद तक काम किया जा सकता है।
गोंदिया में इसके पूर्व कैंसर की सर्जरी एक बहुत गंभीर विषय था लेकिन गत तीन से चार वर्षो से डॉक्टर नोव्हिल ब्राम्हणकर द्वारा ब्राम्हणकर अस्पताल की शुरुआत कर जिले के कैंसर मरीजों का सफलतापूर्वक ऑपरेशन कर उनके जीवन में एक नई रोशनी लाने का कार्य निरंतर कर रहे हैं।

गत 3 वर्षों में गोंदिया, भंडारा, गढ़चिरौली जिले के साथ-साथ पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ के राज्यों से भी आने वाली महिला मरीजों के स्तन कैंसर वह गर्भाशय कैंसर का सफलतापूर्वक ऑपरेशन कर रहे हैं। जिसमें अब तक उन्होंने 100 से अधिक स्तन कैंसर की सफल शल्यक्रिया करने के साथ ही 50 के करीब गर्भाशय कैंसर का ऑपरेशन किया है। जिससे अब मरीजों को बड़े शहरों की ओर जाने तथा अधिक खर्च वहन करने की समस्या से निजात भी मिल गई है। क्योंकिब्राम्हणकर अस्पताल में कैंसर की यह शल्यक्रिया शासकीय योजनाएं- प्रधानमंत्री आयुष्मान योजना व राज्य की महात्मा ज्योतिबा फुले जन आरोग्य योजना के अंतर्गत किया जा रहा है।

कैंसर से बचाव के लिए जन जागृति महत्वपूर्ण
कैंसर की बीमारी प्राण घातक है लेकिन अगर इसका समय रहते जांच में पता लग जाए तो उपचार के द्वारा इसे काफी हद तक ठीक किया जा सकता है। महिलाओं में स्तन कैंसर वह गर्भाशय कैंसर के मामलेबड़े प्रमाण सामने आ रहे हैं जिसका मुख्य कारण यह है कि महिलाओं में जन जागृति ना होना भारतीय परिवेश में समय रहते जांच ना करना यदि प्राथमिक चरण में जांच हो जाए तो इससे बचाव किया जा सकता है।
– डॉ.नोव्हिल ब्राम्हणकर गोंदिया

            कैसे जाने ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण

स्तन में गांठ या लंप होना ये ब्रेस्ट कैंसर के आम लक्षणों में से एक है. डॉक्टर सलाह देते हैं कि अगर ब्रेस्ट में किसी प्रकार की गांठ महसूस होती है तो तुरंत मेडिकल जांच करवानी चाहिए.
अगर ब्रेस्ट में किसी प्रकार की सूजन दिखाई देती है तो उसके प्रति लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए. ये सूजन ब्रेस्ट के एक हिस्से या पूरे ब्रेस्ट में हो तो सचेत हो जाना चाहिए.
ब्रेस्ट की त्वचा में किसी प्रकार का परिवर्तन दिखाई दे मसलन वहां जलन, लाल पड़ना या त्वचा का सख्त़ होना, त्वचा की बनावट में बदलाव दिखना. ऐसा महसूस करना जैसे त्वचा गीली हो. \अगर निप्पल से रिसाव होता पदार्थ निकलता दिखे, अंदर की तरफ़ धंसता दिखे या दर्द हो रहा हो तो डॉक्टर की सलाह ली जानी चाहिए।
डॉक्टर कहते हैं कि कई बार युवा महिलाओं में कैंसर के ये लक्षण पहचानने में चुनौतियां भी पेश आती हैं जैसे लक्षण ठीक से महसूस नहीं हो पाते, छोटे ट्यूमर का पता नहीं चल पाता और कई बार मेमोग्राफी में भी पता नहीं चल पाता. लेकिन अगर किसी तरह के बदलाव या ऊपर दिए गए कोई भी लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
इस उम्र में स्क्रीनिंग की बात से डॉक्टर नोविल इंकार करते हैं लेकिन वे ये ज़रूर कहते हैं कि इसके बारे में जागरूकता जितनी फैलाई जाए उतनी कम है. अगर किसी भी प्रकार के लक्षण दिखें तो डॉक्टर को दिखाएं और अगर जिनके घर में कैंसर की हिस्ट्री रही हो उन मामलों में हम 25 साल की उम्र के बाद स्क्रीनिंग और जेनेटिक टेस्टिंग की सलाह भी देते हैं।

       दुनिया भर की महिलाओं में क्यों बढ़ रहा है स्तन कैंसर

स्तन कैंसर दुनिया भर में महिलाओं की मौत का एक प्रमुख कारण है। इस बीमारी के आंकड़ों में लगातार इज़ाफ़ा हो रहा है, जो चिंता की बात है। चिकित्सक मानते हैं कि मृत्यु दर को कम करने के लिए महिलाओं में कैंसर के लक्षणों के प्रति जागरूकता ज़रूरी है। चिकित्सक मानते हैं कि बदलती जीवन-शैली और तनाव का स्तर काफी हद तक स्तन कैंसर के लिए ज़िम्मेदार हैं। वसायुक्त उत्पादों का अधिक सेवन, कॅरियर को प्राथमिकता देने के कारण लड़कियों के विवाह और पहले बच्चे को जन्म देने की औसत आयु 25 से 30 वर्ष होने तथा बच्चे को स्तनपान न कराने के कारण भारत में हर साल स्तन कैंसर के आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार स्तन कैंसर का पारिवारिक इतिहास, विशेष रूप से माँ या बहन जैसे करीबी रिश्तेदारों में इसका होना आपके जोखिम को बढ़ा सकता है। इसके अलावा मोटापा, कम उम्र में पीरियड्स शुरू होना, मेनोपॉज में देरी, बिना डॉक्टर की सलाह के हार्मोन्स का सेवन, धूम्रपान और शराब का सेवन करने वाली महिलाओं में इसका ख़तरा काफी हद तक बढ़ जाता है। स्तन में कुछ कोशिकाओं के असामान्य रूप से बढ़ने के कारण स्तन कैंसर होता है। ये कैंसर कोशिकाएँ, स्वस्थ कोशिकाओं की तुलना में अधिक तेज़ी से विभाजित होती हैं और जमा होने लगती हैं, जिसके कारण गांठ बन जाती है। यह कोशिकाएँ स्तन के माध्यम से लिम्फ नोड्स या शरीर के अन्य भागों में भी फैल सकती हैं। स्तन में गांठ को आसानी से महसूस किया जा सकता है। स्तन कैंसर के लक्षणों में स्तनों में गांठ, भारीपन और दर्द महसूस होता है। सबसे बड़ी पहचान दोनों स्तनों के आकार में फर्क दिखने लगता है। कई बार महिलाएँ स्तन कैंसर के लक्षणों का पता न होने के कारण इसे नज़र -अंदाज़ कर देती हैं या फिर इस बात को स्वीकार नहीं करना चाहतीं कि उन्हें कैंसर है, इसलिए महिलाओं को यह सलाह दी जाती है कि खुद से अपनी जाँच करना सीखें या नियमित रूप से अपनी जाँच कराने जाएँ। इससे बीमारी के शुरुआती चरण में ही पता करने में मदद मिलेगी, जिससे इलाज करना आसान हो जाएगा। जिन सामान्य लक्षणों की जाँच करनी है, उनमें नहाते समय साबुन लगे हाथों से स्तन जाँचना सबसे सही तरीका है। नहाने से पहले शीशे में अच्छी तरह से देखें कि कहीं कोई लंप, त्वचा में बदलाव या किसी तरह का डिस्चार्ज तो नहीं है। निप्पल बाहर की जगह स्तन के अंदर तो नहीं धंस गया है, निप्पल पर दाद या रैशेज तो नहीं हो रहे हैं। इसके साथ ही महिलाएं अपनी बगलों की जाँच करना न भूलें। चिकित्सकों के मुताबिक, स्तन कैंसर की पहचान मैमोग्राफी द्वारा संभव है, जिसमें छोटी से छोटी गांठ का पता लगाया जा सकता है। 45 से 65 साल की प्रत्येक महिला को हर दो साल में एक बार मैमोग्राफी ज़रूर करवानी चाहिए। अपने वजन पर नियंत्रण के साथ महिलाओं को हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी से भी बचना चाहिए। स्तन कैंसर के जोखिम को कम करने के लिए महिलाओं को खट्टे फल, सब्जियां और साबुत अनाज से भरपूर संतुलित आहार को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाना चाहिए। शराब और धूम्रपान के प्रयोग से बचना चाहिए। इसके साथ ही रोजमर्रा के जीवन में प्रतिदिन सवेरे आधे घंटे का व्यायाम, सुबह-शाम की सैर को भी प्राथमिकता देनी चाहिए।

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