करोड़ों के विकास के बड़े-बड़े दावे 100 साल की नगर परिषद में डंपिंग यार्ड व प्रोसेसिंग यूनिट नहीं, 4 करोड से अधिक प्रति वर्ष खर्च के बावजूद गंदगी से बजबजा गोंदिया शहर

बुलंद गोंदिया। गोंदिया शहर की नगर परिषद 100 वर्ष से अधिक की हो चुकी है तथा अ श्रेणी की होने के बावजूद अब तक शहर का घन कचरा प्रकल्प व प्रोसेसिंग यूनिट का निर्माण नहीं हो पाया। स्वच्छता पर प्रतिवर्ष 4 करोड रुपए से अधिक खर्च होने के बावजूद पूरा शहर गंदगी से बजबजाता है जिससे संपूर्ण देश में एक बदबूदार शहर के रूप में गोंदिया की पहचान बनी है। जबकि गोंदिया के जनप्रतिनिधियो द्वारा करोड़ों रुपए के विकास के बड़े बड़े दावे कर किया जा रहे हैं जो खोखले दिखाई दे रहे हैं।

गौरतलब है की गोंदिया शहर महाराष्ट्र राज्य के पूर्व सीमा पर बसा एक प्रमुख शहर है जिसकी नगर परिषद को 110 वर्ष से अधिक हो चुका हैं, जिस पर 100 वर्षों से अधिक समय तक कद्दावर जनप्रतिनिधियों द्वारा सत्ता प्राप्त कर शासन किया गया है।
शासन की विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत गोंदिया शहर के विकास के लिए करोड़ों रुपए की निधि खर्च किए जाने के बड़े-बड़े दावे जनप्रतिनिधियो द्वारा किए जाते हैं लेकिन जब स्वच्छता पर बात आती है तो वही दावे खोखले साबित होते नजर आते हैं।


गोंदिया नगर परिषद महाराष्ट्र की प्रथम श्रेणी की नगर परिषद है जिसकी अचल संपत्ति संपूर्ण महाराष्ट्र में सर्वाधिक है लेकिन अब भी नगर परिषद का स्वयं का घन कचरा प्रकल्प व प्रोसेसिंग यूनिट नहीं बन पाया है जिससे शहर की गंदगी की समस्या कभी खत्म होती दिखाई नहीं दे रही है ,जबकि प्रधानमंत्री द्वारा स्वच्छ भारत का अभियान चलाते हुए स्वच्छता पर प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए की निधि खर्च की जा रही है लेकिन गोंदिया शहर में स्वच्छता अभियान की धज्जियां उड़ती हुई दिखाई दे रही।

     4 करोड़ से अधिक प्रतिवर्ष स्वच्छता पर खर्च
गोंदिया नगर परिषद क्षेत्र अंतर्गत दिसंबर 2021 से एक निजी एजेंसी को कचरा प्रोसेसिंग का कार्य दिया गया जिसके लिए लगभग एक करोड़ 80 लख रुपए से अधिक की राशि का भुगतान प्रतिवर्ष नगर परिषद द्वारा प्रोसेसिंग के लिए दिया जा रहा है। इसके साथ ही करीबन दो से ढाई करोड रुपए घंटा गाड़ियों ट्रैक्टर वह निजी एजेंटीयों के मजदूरों पर खर्च किया जा रहा है। साथ ही नगर परिषद के स्वच्छता विभाग के जो स्थाई कर्मचारी है उनका खर्च इसमें अलग है मात्र 4 करोड रुपए से अधिक निजी एजेंसी वह अस्थाई मजदूर व घंटा गाड़ियों पर नगर परिषद द्वारा खर्च किया जा रहा है इसके बावजूद भी शहर की गंदगी जज की तस दिखाई देती है।

      चंद लोगों का विरोध शासन प्रशासन उदासीन
शहर से निकलने वाले कचरे की प्रोसेसिंग यूनिट के लिए गत कुछ वर्षों से अनेकों स्थान पर भूमि का चयन किया गया लेकिन चंद लोगों के विरोध के चलते प्रोसेसिंग यूनिट वह डंपिंग यार्ड का कार्य नहीं हो पाया जबकि इसमें साफ स्पष्ट दिखाई देता है कि राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के चलते सिर्फ एक दूसरे का विरोध करने के लिए प्रोसेसिंग यूनिट व घन कचरा प्रकल्प में एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए चंद लोगों के द्वारा नागरिकों को सामने कर उनके द्वारा विरोध प्रदर्शन करवा कर शहर के प्रोसेसिंग यूनिट का निर्माण नहीं होने दिया जा रहा।

    65 मेट्रिक टन औसत प्रतिदिन निकलता कचरा
गोंदिया नगर परिषद क्षेत्र अंतर्गत सामान्य दिनों में औसत रूप से 65 मेट्रिक टन कचरा प्रतिदिन निकलता है जबकि पर्व व त्यौहारों के समय यह अधिक हो जाता है।

   गंदगी से नागरिकों के स्वास्थ्य पर विपरीत परिणाम

गोंदिया शहर के अधिकांश क्षेत्रों में गंदगी बजबजाती रहती है जिससे अनेक बीमारियां कभी-कभी विकराल रूप ले लेती है, जिससे नागरिकों के स्वास्थ्य पर विपरीत परिणाम होता है तथा मच्छरों की समस्या विकराल हो जाती है जिससे मलेरिया वह अन्य बीमारियां नागरिकों को जकड़ती है।

  गंदे पानी की निकासी के लिए नालियों का नियोजन नहीं

गोंदिया शहर कहने को तो काफी पुराना है लेकिन शहर की नगर रचना की स्थिति काफी खराब हो चुकी है।
शहर में नागरिकों के घर से निकलने वाले गंदे पानी की निकासी के लिए नालियों की नालियों का नियोजन नहीं है।
नगर परिषद द्वारा नालियों का निर्माण तो किया जाता है लेकिन जनप्रतिनिधियों द्वारा यह अपने कार्यकर्ताओं को खुश करने के लिए दिलयया दिया जाता है जिससेकार्य कुशलता न होने के चलते नालियों का निर्माण कार्य तकनीकी रूप से नहीं हो पाता जिससे समुचित तरीके से पानी की निकासी नहीं हो पाती तथा वही जमा हो जाता है। तथा बारिश में नालियों गंदा पानी मार्गों पर बहता है तथा आने जाने वाले वाहन के चलते नागरिकों पर वह गंदा पानी निरंतर उछलता रहता है। साथ ही अनेकों बार स्कूली विद्यार्थी भी जब मार्ग से गुजरते हैं तो बाजू से जब तेज कोई तेज वाहन वहां गुजरता है तो गंदा पानी उनकी स्कूल की गणवेश को खराब कर देता है।क्या यह स्थिति शहर के जनप्रतिनिधियों को दिखाई नहीं देती।

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