गोंदिया में सार्वजनिक पंडालों व मंदिरों में विराजित मातारानी नवरात्र पर्व का पाँचवाँ दिन माँ स्कंदमाता देवी के दर्शन बुलंद गोंदिया पर

बुलंद गोंदिया। शारदीय नवरात्र रविवार 16 अक्टूबर से शुरू हुआ है। जिसमें शहर के सार्वजनिक स्थानों पर पंडालों में मातारानी की भव्य प्रतिमा विराजित हुई है। इसके साथ ही शहर के विभिन्न दुर्गा मंदिर में विराजित माता व ज्योत के नवरात्र पर्व का पाँचवाँ दिन माँ स्कंदमाता देवी के दर्शन बुलंद गोंदिया पर।

                स्कंदमाता
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदाऽस्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥

श्री मनोहर चौक शारदा उत्सव समिति गोंदिया

श्री मनोहर चौक शारदा उत्सव समिति का भव्य आकर्षक मां शारदा का पंडाल

नवरात्रि का पाँचवाँ दिन स्कंदमाता की उपासना का दिन होता है। मोक्ष के द्वार खोलने वाली माता परम सुखदायी हैं। माँ अपने भक्तों की समस्त इच्छाओं की पूर्ति करती हैं। इस देवी की चार भुजाएँ हैं। यह दायीं तरफ की ऊपर वाली भुजा से स्कन्द को गोद में पकड़े हुए हैं। नीचे वाली भुजा में कमल का पुष्प है। बायीं तरफ ऊपर वाली भुजा में वरदमुद्रा में हैं और नीचे वाली भुजा में कमल पुष्प है।

श्री नया गंज दुर्गा उत्सव समिति मनोहर भाई पटेल यार्ड गोंदिया

पहाड़ों पर रहकर सांसारिक जीवों में नवचेतना का निर्माण करने वालीं स्कन्दमाता। नवरात्रि में पाँचवें दिन इस देवी की पूजा-अर्चना की जाती है। कहते हैं कि इनकी कृपा से मूढ़ भी ज्ञानी हो जाता है। स्कन्द कुमार कार्तिकेय की माता के कारण इन्हें स्कन्दमाता नाम से अभिहित किया गया है। इनके विग्रह में भगवान स्कन्द बालरूप में इनकी गोद में विराजित हैं। इस देवी की चार भुजाएँ हैं।

श्री सार्वजनिक दुर्गा उत्सव समिति इंगले चौक गोंदिया

यह दायीं तरफ की ऊपर वाली भुजा से स्कन्द को गोद में पकड़े हुए हैं। नीचे वाली भुजा में कमल का पुष्प है। बायीं तरफ ऊपर वाली भुजा में वरदमुद्रा में हैं और नीचे वाली भुजा में कमल पुष्प है। इनका वर्ण एकदम शुभ्र है। यह कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं। इसीलिए इन्हें पद्मासना भी कहा जाता है। सिंह इनका वाहन है।

बाल सेवक समाज दुर्गा उत्सव मंडल सिविल लाइन इंजिन शेड गोंदिया

बाल सेवक समाज मंडल का आकर्षक पंडाल

शास्त्रों में इसका पुष्कल महत्व बताया गया है। इनकी उपासना से भक्त की सारी इच्छाएँ पूरी हो जाती हैं। भक्त को मोक्ष मिलता है। सूर्यमण्डल की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण इनका उपासक अलौकिक तेज और कान्तिमय हो जाता है। अतः मन को एकाग्र रखकर और पवित्र रखकर इस देवी की आराधना करने वाले साधक या भक्त को भवसागर पार करने में कठिनाई नहीं आती है।

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उनकी पूजा से मोक्ष का मार्ग सुलभ होता है। यह देवी विद्वानों और सेवकों को पैदा करने वाली शक्ति है। यानी चेतना का निर्माण करने वालीं। कहते हैं कालिदास द्वारा रचित रघुवंशम महाकाव्य और मेघदूत रचनाएँ स्कन्दमाता की कृपा से ही संभव हुईं।

श्री टॉकीज चौक दुर्गा उत्सव समिति गोंदिया.

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