बुलंद गोंदिया। गोंदिया जिले के दवनीवाड़ा पुलिस थाना अंतर्गत आने वाले महाल गांव मुर्दाडा मार्ग पर 15 जून की सुबह 9:30 बजे के दौरान रेती से भरे टिप्पर ने ट्रैक्टर को जबरदस्त टक्कर मार दी थी। इस भीषण दुर्घटना में दो हमालो की मौत हो गई थी। इस मामले में एक मृतक हमाल महालगांव निवासी गोविंदा आगासे उम्र 27 वर्ष की उपचार के दौरान मौत हुई थी जिसके शव को लेकर 16 जून की सुबह महालगांव निवासी ग्रामीणों द्वारा दोषियो पर कार्रवाई की मांग को लेकर मुख्य मार्ग पर रास्ता रोको आंदोलन शुरू किया था।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार आंदोलन के दौरान ग्रामीणों व दवनीवाडा पुलिस के निरीक्षक प्रताप भोसले के साथ ग्रामीणों का कुछ विवाद हुआ जिसके चलते आक्रोशित नागरिकों द्वारा पुलिस विभाग पर आरोप लगाए गए इसी दौरान कुछ धक्का-मुक्की हो गई जिस पर पुलिस बल ने लाठी चलाई इस कारन स्थिति गंभीर हो गई तथा ग्रामीणों द्वारा आक्रोशित होकर पुलिस दल पर पथराव शुरू किया तथा पुलिस वाहन को क्षतिग्रस्त किया।
इस घटना में दवनीवाडा के पुलिस निरीक्षक प्रताप भोंसले सहित पांच पुलिसकर्मी जख्मी हो गए जिन्हें उपचार के लिए गोंदिया के एक निजी चिकित्सालय में दाखिल कराया गया हालांकि इस संदर्भ में समाचार लिखे जाने तक पुलिस विभाग से जख्मी पुलिसकर्मियों के नाम प्राप्त नहीं हो पाए थे इस घटना के पश्चात इस घटना की जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को मिलते ही वह घटनास्थल पर और अधिक बल के साथ पहुंचे देर शाम तक स्थिति जस की तस बनी हुई थी।
पुलिस विभाग की विफलता या लापरवाही
दवनीवाडा पुलिस थाना अंतर्गत महालगांव मुर्दाडा मार्ग पर 15 जून की सुबह भीषण दुर्घटना में 2 लोगों की मौत हो गई थी वह चार गंभीर रूप से जख्मी हो गए इस मामले में परिसर में काफी तनाव की स्थिति निर्माण हो गई थी लेकिन पुलिस विभाग द्वारा इसे हल्के में ले कर मामले को गंभीरता से ना समझा गया। जिसके परिणाम स्वरूप 16 जून की सुबह जब नागरिकों द्वारा मृतक गोविंद आगासे के शव के साथ अपनी विभिन्न मांगों को लेकर रास्ता रोको आंदोलन किया तो कोई वरिष्ठ अधिकारी घटनास्थल पर उपस्थित नहीं था तथा सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार आक्रोशित ग्रामीणों द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों को घटनास्थल पर बुलाए जाने की मांग करने के साथ ही दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की गई थी लेकिन इस दौरान अचानक पुलिस विभाग व ग्रामीणों के बीच कुछ विवाद की स्थिति निर्माण हो गयी जिस पर पुलिस बल ने लाठी चलाई। जिसके के चलते आक्रोशित ग्रामीणों द्वारा पुलिस दल पर पथराव किया गया जिसमें पुलिस वाहन क्षतिग्रस्त होने के साथ ही पुलिस निरीक्षक सहित पांच पुलिसकर्मी जख्मी हो गए इस घटना से साफ उजागर होता है कि इस मामले में पुलिस विभाग की विफलता है या लापरवाही है इस पर प्रश्नचिन्ह निर्माण हो रहा है।
उल्लेखनीय है कि इस गंभीर दुर्घटना के घटित होने के पश्चात आक्रोशित ग्रामीणों द्वारा दुर्घटना का कारण बनने वाले टिपर को घटनास्थल पर ही आग लगा दी थी जिससे नागरिकों का आक्रोश साफ नजर आता था। लेकिन इसके बावजूद भी पुलिस विभाग द्वारा इस घटना को गंभीरता से ना लिया जाना 16 जून की घटना के रूप में सामने आया है।