बुलंद गोंदिया। गोंदिया नगर परिषद प्रशासन द्वारा पूर्व में की गई अनेक खामियां अब सामने आ रही है। जिसमें पूर्व पार्षद दिलीप गोपलानी जिनका पुश्तैनी मकान मालमत्ता क्रमांक 31/107 है जिनका 1997 में बिना मंजूरी के अवैध बांधकाम हुआ था जिस पर वर्ष 2013 से 2020 तक कर बकाया होने पर भी उन्हें नप चुनाव वर्ष 2016-17 के दौरान नामांकन पत्र भरने व चुनाव लड़ने हेतु नप प्रशासन द्वारा एनओसी दी गई थी। साथ ही उसी संपत्ति पर शौचालय होने का प्रमाण पत्र भी दिया गया था जबकि पूर्व पार्षद गोपलानी ने स्वयं उच्च न्यायालय में दाखिल याचिका में स्वीकार किया कि उनके पुश्तैनी मकान का बांधकाम वर्ष 1997 में किया गया था जब इस मामले में महेश वाधवानी की शिकायत पर पुनः कर निर्धारण किया गया तो सामने आया कि 2 वर्ष का ही बकाया बिल पूर्व पार्षद दिलीप गोपलानी को दिया गया जबकि नियमानुसार बकाया कर लगा कर वसूली की जानी थी।
उल्लेखनीय है कि आम नागरिक पर बकाया होने पर नप द्वारा उनकी संपत्ति को सील व जब्ती किए जाने की कार्रवाई की जाती है, किंतु राजनीतिक दबाव या अन्य कारणों से गोपलानी पर नप प्रशासन द्वारा कार्यवाही नहीं की गई तो इतनी मेहरबानी किस लिए। जबकि नगर परिषद ,नगर पंचायत व औद्योगिक नागरिक अधिनियम 1965 की कलम 45 व46 के अनुसार नप को दिया जाने वाला किसी भी प्रकार का कर बकाया होने पर जमा करने की तारीख से 2 माह के अंदर नहीं दिए जाने पर नगर परिषद के पदाधिकारी अध्यक्ष उपाध्यक्ष व अन्य सदस्यों को चुनाव लड़ने पर 5 वर्षों का प्रतिबंध लगाया जाता है ।
विशेष यह है कि प्राप्त जानकारी के अनुसार चुनावी नामांकन पत्र में दर्शाए गए संपत्ति विवरण में दर्शाया नहीं गया था तथा उपरोक्त संपत्ति पर वर्ष 2013 से कर बकाया है ऐसा हुआ तत्कालीन जिलाधिकारी दीपक मीणा के समक्ष कर विभाग ने प्रस्तुत किया था जबकि याचिकाकर्ता ने जिलाधिकारी के संज्ञान में यह जानकारी लाए कि नगर परिषद का आम चुनाव वर्ष 2016-17 में हुआ था वह कर बकाया होने के बावजूद चुनाव लड़ने हेतु नगर परिषद द्वारा एनओसी कैसे दी गई इसकी जांच की जाए जिस पर पूर्व जिलाधिकारी दीपक मीणा ने कड़ी टिप्पणी की थी तथा नगर परिषद प्रशासन को फटकार भी लगाई थी। इसके बावजूद गोपलानी पर कलम 45 की कार्रवाई नहीं की गई ।
जिसके चलते आरटीआई कार्यकर्ता महेश वाधवानी द्वारा कलम 45 व 307 के अनुसार याचिका दाखिल कर कलम 45(6) के तहत पूर्व पार्षद दिलीप गोपलानी को 5 वर्षों हेतु नगर परिषद का किसी भी प्रकार का चुनाव लड़ने के लिए अपात्र घोषित करने हेतु याचिका दाखिल की गई है। दाखिल की गई याचिका पर जिलाधिकारी द्वारा क्या निर्णय दिया जाता है इस पर शहरवासियों की नजरें टिकी हुई है।
नगर परिषद प्रशासन पूर्व की गलतियों को छुपाने पूर्व पार्षद गोपलानी पर नहीं कर रहा कार्रवाई जिलाधिकारी के समक्ष याचिका दाखिल
