नाबालिग से दुष्कर्म ,आरोपी अक्षय वैद्य को 20 वर्ष का सश्रम कारावास व 2 लाख का जुर्माना 16 माह में न्यायालय ने दिया निर्णय

तिरोड़ा की शर्मनाक घटना
बुलंद गोंदिया। गोंदिया जिले के तिरोडा पुलिस थाना अंतर्गत आने वाले तिरोड़ा शहर निवासी आरोपी अक्षय मनोहर वैद्य उम्र 22 वर्ष को 11 वर्ष की नाबालिगा के साथ दुष्कर्म करने के आरोप में दोषी करार देते हुए प्रमुख जिला व विशेष सत्र न्यायधीश एस ए ए आर ओटी द्वारा 20 वर्ष का सश्रम कारावास व 2 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई।
गौरतलब है कि 15 अक्टूबर 2020 की सुबह 8:00 बजे के दौरान फरियादी की काकी सास की मौत हो जाने पर वह अंतिम संस्कार से दोपहर को घर पर आई वह घर के सभी लोग अंतिम संस्कार में गए हुए थे। इसी दौरान फरियादी द्वारा अपनी 11 वर्षीय नाबालिगा को पड़ोस के आरोपी की दुकान से फेयर एंड लवली लाने के लिए भेजा किंतु पीड़िता काफी समय तक वापस ना आने पर फरियादी द्वारा पीड़िता की तलाश के लिए आरोपी की दुकान पहुंची किंतु आरोपी की दुकान बंद होने के चलते वह दूसरी दुकान पर अपनी बेटी को देखने के लिए गई लेकिन वह वहां पर भी नहीं पहुंची तथा उपरोक्त दुकानदार द्वारा बताया गया कि उसकी बेटी उसकी दुकान पर नहीं आई जिसके पश्चात फरियादी अपने घर वापस आ रही थी इसी दौरान आरोपी की किराना दुकान से पीड़िता रोती हुई बाहर निकलती हुई उसे दिखाई दी।
तथा उसके साथ घटित हैवानियत की जानकारी दी विशेष यह है की घटना के दिन आरोपी द्वारा अकेलेपन का फायदा उठाते हुए पीड़िता को नड्डा व अन्य खाद्य पदार्थ खाने के लिए देकर उस पर लैंगिक अत्याचार किया था जिस पर पीड़िता की माता द्वारा 15 अक्टूबर 2020 को तिरोडा पुलिस थाने में मामला दर्ज कराया। उपरोक्त शिकायत के आधार पर तत्कालीन सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन एन ढोके द्वारा आरोपी के खिलाफ भादवि की धारा 376(3), 376( एबी) सहायक धारा बाल लैंगिक अत्याचार संरक्षण कानून 2012 की 4व6 के तहत मामला दर्ज कर मामले की गहराई से जांच कर आरोपी के खिलाफ न्यायालय में आरोप पत्र पेश किया था।
उपरोक्त मामले में आरोपी के खिलाफ आरोप सिद्ध करने के लिए सरकार की ओर से विशेष सरकारी वकील कृष्णा डी पारधी द्वारा 8 गवाहों को न्यायालय के समक्ष पेश किया। गवाहों वह सबूतों तथा चिकित्सा अहवाल के आधार पर आरोपी अक्षय वैद्य को दोषी करार देते हुए प्रमुख जिला व विशेष सत्र न्यायधीश एस ए ए आर औटी द्वारा बाल लैंगिक अत्याचार संरक्षण अधिनियम 2012 की कलम 4 के तहत 20 वर्ष का सश्रम कारावास व 2 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई तथा जुर्माना न भरने पर आरोपी को 5 वर्ष का अतिरिक्त सश्रम कारावास भुगतना होगा। तथा जुर्माने की रकम भरे जाने पर उपरोक्त रकम पीड़िता को देने का आदेश दिया। इसके साथ ही मनोधैर्य योजना के अंतर्गत पीड़िता की चिकित्सा उपचार वह पुनर्वासन के लिए जिला विधि सेवा प्राधिकरण को सहायता करने के लिए आदेश दिया। उपरोक्त मामले में पैरवी अधिकारी मापोशि सुनीता लिल्हारे व पोहवा शंकर साठवने द्वारा विशेष सहयोग किया।

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