प्राइवेट फाइनेंस कंपनियों में उपभोक्ताओं की खुलेआम लूट ,इंडिया शेल्टर फाइनेंस में स्टेटमेंट के नाम पर अवैध वसूली कंपनी के कर्मचारी दबंगई कर उपभोक्ताओं के साथ करते हैं बदसलूकी

बुलंद गोंदिया। देश में निजी फाइनेंस कंपनियों का एक भारी जाल फैल चुका है। जिस के जाल में उपभोक्ता के फंसने पर कंपनी द्वारा अपने कर्मचारियों के माध्यम से उनके साथ दबंगई करते हुए बदसलूकी कर विभिन्न नियमों के नाम से अवैध वसूली करते हैं। इसी प्रकार का एक मामला गोंदिया शहर के जयस्तंभ चौक के सेटेलाइट टावर इमारत में स्थित इंडिया शेल्टर कंपनी का सामने आया है। जिसमें उपभोक्ताओं से स्टेटमेंट की कॉपी देने के नाम पर 500रुपए की वसूली की जा रही है।
गौरतलब है कि देश में धीरे धीरे निजीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है निजीकरण के चलते उपभोक्ताओं को जहां कुछ सुविधाएं अतिरिक्त प्राप्त हो रही है वहीं इसका दुष्परिणाम भी उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ रहा है। देश में बड़े पैमाने पर निजी फाइनेंस कंपनियों का जाल फैल चुका है जिसमें हाउसिंग लोन, गोल्ड लोन, वाहन लोन के साथ अन्य प्रकार के लोन कंपनियों के द्वारा दिए जाते हैं। लोन देने की प्रक्रिया के पूर्व कंपनियों के कर्मचारियों द्वारा उपभोक्ताओं के साथ बड़े ही सभ्य तरीके से व्यवहार किया जाता है। किंतु लोन प्राप्त होते ही कंपनी के कर्मचारियों का व्यवहार उपभोक्ताओं के लिए बिल्कुल बदल जाता है। वह सभ्य दिखने वाले पूरी तरह गुंडागर्दी व दबंगई पर उतर आते हैं तथा कंपनियों के विभिन्न नियमों के तहत उपभोक्ताओं से अवैध रूप से लोन की राशि के अतिरिक्त वसूली करते हैं इसी प्रकार का एक मामला गोंदिया शहर में सामने आया शहर के जयस्तंभ चौक स्थित सेटेलाइट टावर इमारत में बड़े पैमाने पर निजी फाइनेंस कंपनियों के कार्यालय शुरू है इसी में एक कंपनी इंडिया शेल्टर जो हाउसिंग लोन देने के साथ ही अन्य प्रकार के कर्ज भी प्रदान करती है जिसमें उपभोक्ता द्वारा कर्ज की राशि जमा किए जाने का वार्षिक स्टेटमेंट मांगे जाने पर 500 रुपए फीस के नाम पर वसूल किए जा रहे हैं। जबकि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के नियमों के तहत उपरोक्त फाइनेंस कंपनियों को कार्य करना पड़ता है जिसमें बैंकिंग नियमों के अंतर्गत उपभोक्ता द्वारा प्रथम बार स्टेटमेंट मांगे जाने पर उसे निशुल्क दिया जाना होता है तथा दूसरी बार स्टेटमेंट की कॉपी लेने पर उन्हें शुल्क देना होता है। किंतु उपरोक्त कंपनी में पहली कॉपी पर ही शुल्क वसूल किया जा रहा है इस संदर्भ में जब कंपनी से कर्ज लेने वाले उपभोक्ता देवराम खंडाते जिन्होंने वर्ष 2019 में हाउसिंग लोन लिया था जिसकी लोन की किस्त जमा होने की वार्षिक स्टेटमेंट की कॉपी मांगे जाने पर 500 रुपए फ़ीस के नाम पर वसूल किया गया जब इस संदर्भ में उनके द्वारा कंपनी में कार्यरत कर्मचारियों से जानकारी प्राप्त करनी चाही तो उससे अभद्र व्यवहार किया गया जिसके चलते यह मामला साफ हो गया कि जब उपभोक्ता कर जाता हो जाता है तो प्राइवेट फाइनेंस कंपनियों के कर्मचारियों द्वारा किस प्रकार का अभद्र व्यवहार किया जाता है।
आरबीआई के नियमानुसार पहली कॉपी निशुल्क
कर्ज लेने वाले उपभोक्ता अथवा बैंक खाता धारक को आरबीआई के नियमानुसार स्टेटमेंट की पहली कॉपी निशुल्क देना होता है तथा इसके पश्चात वही कॉपी दुबारा लेने पर उसके लिए शुल्क देना होता है किंतु प्राइवेट फाइनेंस कंपनियों द्वारा स्टेटमेंट देने के नाम पर पहली कॉपी पर ही वसूली की जाती है।
उपभोक्ताओं को नियमों की नहीं दी जाती पूरी जानकारी
प्राइवेट फाइनेंस कंपनियों द्वारा लोन लेने वाले उपभोक्ताओं को नियमों की पूरी तरह जानकारी नहीं दी जाती है तथा उन्हें मुख्य जानकारी ही दी जाती है तथा अन्य छुपे हुए एजेंडे है वह अवैध वसूली का रास्ता नियम व शर्तों के नाम पर बनाकर उपभोक्ताओं की विभिन्न तरीके से लूट करते हैं एक बार जब वह उनके चुंगल में फस जाते हैं तो उसका पूरी तरीके से शोषण प्राइवेट फाइनेंस कंपनियों द्वारा किया जाता है।
उपभोक्ताओं में नियमों की हो जागृति
उपभोक्ता जब प्राइवेट कंपनियों में किसी भी प्रकार के लोन लेने के लिए जाता है तो उसे नियमों की पूरी तरह जानकारी संबंधित कर्मचारियों से लेना चाहिए लेकिन प्राइवेट फाइनेंस कंपनियों के लोन फॉर्म सिर्फ इंग्लिश भाषा में होने के चलते अधिकांश उपभोक्ता पूरी तरह नियमों को समझ नहीं पाते इसलिए जिस क्षेत्र में कंपनी कार्य करती है उस क्षेत्र की स्थानीय भाषा में भी कंपनियों के लोन फॉर्म होना चाहिए जिससे उपभोक्ता आसानी से कंपनियों के नियमों को समझ सके किंतु इस प्रकार का कार्य कोई भी फाइनेंस कंपनी नहीं करती है जिससे लोन लेने के पश्चात उपभोक्ता को विभिन्न तरीकों से परेशान कर लोन की राशि के अतिरिक्त विभिन्न दस्तावेजों व लेट फीस के नाम पर अवैध रूप से भारी वसूली की जाती है।
प्राइवेट फाइनेंस का के कर्मचारियों का होना चाहिए पुलिस वेरिफिकेशन
प्राइवेट फाइनेंस कंपनियों मैं नियुक्त होने वाले कर्मचारियों में से कुछ कर्मचारियों को कंपनी द्वारा उनकी असामाजिक व आपराधिक प्रवृत्ति के कारण नियुक्त करती है जिनके माध्यम से वे उपभोक्ताओं को डराने धमकाने व अवैध वसूली का कार्य करते हैं जिसके चलते प्राइवेट फाइनेंस कंपनियों में इस प्रकार के कार्य करने वाले कर्मचारियों का पुलिस वेरिफिकेशन व रिकॉर्ड होना जरूरी है जिससे उपभोक्ताओं के सम्मान व उनकी सुरक्षा हो सके।
फाइनेंस कंपनी के नियमानुसार लिया जाता चार्ज नियमों की अनदेखी ग्राहकों की गलती
इंडिया शेल्टर फाइनेंस कंपनी में नियम के अनुसार उपभोक्ता से स्टेटमेंट का चार्ज लिया जाता है तथा यह नियम में लिखा हुआ है यदि उपभोक्ता नियम नहीं पड़ता है तो यह ग्राहक की गलती है तथा स्टेटमेंट चार्ज की रसीद ग्राहकों को दी जा रही है यदि किसी प्रकार की शिकायत कस्टमर को है तो वह कस्टमर केयर में शिकायत कर सकते हैं।
     – नयन कुमार प्रबंधक विदर्भ शेल्टर इंडिया
: स्टेटमेंट के नाम पर फीस पूछे जाने पर समाधान कारक जवाब नहीं
हाउसिंग लोन के लिए वर्ष 2019 में कर्ज लिया गया था जिसके कर्ज की किश्त नियमित जमा की जा रही है तथा जमा की गई किस्त का वार्षिक स्टेटमेंट की कॉपी मांगे जाने पर 500 फीस लिया गया तथा इस संदर्भ में जब कंपनी के कर्मचारियों से जानकारी प्राप्त की गई तो अभद्र व्यवहार कर समाधान कारक जवाब नहीं दिया गया
देवराम खंडाते
उपभोक्ता व पुलिस हवलदार गोंदिया।

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