संत नरहरी पत संस्था ने डकारे निवेशकों के ४.५ करोड़, एक साल से कार्यवाही के लिये घुमा रहे सहायक निबंधक और रामनगर पुलिस मेरे रुपये जल्द नहीं मिले तो भरे चौक पर फांसी लगाकर कर लूंगा आत्महत्या.. – भास्कर कायरकर

पत संस्था कार्यालय में लगा पिछले एक साल से ताला संचालक एक दूसरे पर जिम्मेदारी थोपकर झाड़ रहे पल्ला
बुलंद गोंदिया। देश में बैंकों की कमी के चलते लोगों के आर्थिक विकास के लिये सरकार द्वारा पत संस्थाओं के माध्यम से एक स्वर्णिम कल्पना संजोई गई थी, जिसके चलते राज्य में भारी संख्या में सैकड़ों पत संस्थाओं का निर्माण किया गया, लेकिन अनेक पत संस्थाओं ने सरकार की अच्छी सोच पर पानी फेरते हुए गरीब और साधारण निवेशकों की वर्षों की मेहनत की जमा लाखों करोड़ों की पूंजी को बर्बाद कर डाला, और दिन हीन जिंदगी से शानो शौकत की जिंदगी में स्वयं की जिंदगी को तब्दील करने के बाद अब एैसी पत संस्थाओं के संचालक मौज की जिंदगी जी रहे हैं, और उनकी पत संस्थाओं में निवेश करने वाले
अब अपनी ही रकम वापस पाने के लिये दर दर की ठोकर खा रहे हैं। गोंदिया जिले के तिरोड़ा में एक पत संस्था के अनेक संचालक अभी जेल में जमानत के लिये तरस रहे हैं, जबकि उनसे जिनको राशि लेना है, वो अपने मेहनत की कमाई वापस पाने के लिये दर दर की ठोकरेंं खाते हुए आंदोलन की राह पर हैं, तो वहीं दूसरी ओर गोंदिया में भी एक और एैसी पत संस्था है जिसने गरीब और साधारण निवेशकों के लगभग ४.५ करोड़ रुपये पिछले दो साल से डकार लिये हैं, और निवेशकों को उनकी राशि लौटाने के लिये जहां इस संत नरहरी पत संस्था के संचालक मैं तो तैयार हूं मेरा दूसरा संचालक कुछ नहीं दे रहा कह कहकर घुमा रहे हैं, वहीं इन भ्रष्ट संचालकों के संरक्षक सहायक निबंधक और रामनगर पुलिस बने हुए हैं, जिनके द्वारा त्वरित कार्यवाही नहीं कर तथा ऑडीट में सब कुछ साफ हो जाने के बाद भी एफआईआर और कड़ी कार्रवाई संचालक सदस्यों के खिलाफ नहीं कर रहे जिसका परिणाम है कि संत नरहरी पत संस्था के संचालक सदस्य अब उल्टे निवेशकों के सामने उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता के दावे कर रहे हैं।
गोंदिया में निवेशकों के ४.५० करोड़ लगभग का भुगतान निवेशकों को नहीं किये जाने वालों में एक बड़े निवेशक और पतसंस्था के एजेंट भास्कर रामभाऊ कायरकर, तुषार करंडे, संतोषी थानेकर गौतम ने बुलंद गोंदिया बताया कि हमने पूरी ईमानदारी से लोगों के पैसे पत संस्था में जमा कराए, जिसकी हमारे पास लिखित पासबुक और उसकी कॉपी हमने बैंक में जमा की है, परंतु संचालकों से जब हम बात करते हैं तो उसमें से कुछ संचालक अब यह कहते फिर रहे हैं कि हम संचालक नहीं है लेकिन जब पतसंस्था का चुनाव होता है तो सरकारी अधिकारी वहां मौजूद रहता है। अधिकारी ने इनका चुनाव करवाया और जिनके नाम रिकॉर्ड में दर्ज है अब वो जिम्मेदारी से भागने का प्रयास कर रहे हैं।

मेरी मौत के लिये संचालक, सहायक निबंधक और रामनगर पुलिस जिम्मेदार होगी
पत संस्था के एजेंट भास्कर रामभाऊ कायरकर ने कहा कि पिछले दो साल से हमें घुमाया जा रहा है, लोग हमें अपनी राशि के लिये परेशान कर रहे हैं, किसी के घर में बेटी की शादी है तो कोई बिमारी से परेशान है फिर भी बुरे वक्त पर काम आने के लिये जो रकम पत संस्था में लोगों ने जमा की थी, अब वो पाने के लिये उन्हें बार बार हमारे दरवाजे पर चक्कर लगाना पड़ रहा है, जबकि संचालक मैं देने तैयार हूं, बाकी लोग तैयार नहीं कह कर बेवकूफ बनाने का काम कर रहे हैं। एजेंट रामभाऊ भास्कर कायरकर ने कहा कि मेरे माध्यम से लगभग ६० लाख रुपये संत नरहरी पत संस्था के ऊपर बकाया है। यदि अब तुरंत हमारा पैसा नहीं लौटाया गया तो मैं सरेआम फांसी लगा लूंगा और मेरी मौत के जिम्मेदार सभी संचालक सदस्य, सहायक निबंधक और रामनगर पुलिस के थानेदार रहेंगे जो कि हमारी शिकायत पर संचालकों के खिलाफ अपराध दर्ज कर उनको गिरफ्तार नहीं कर रहे हैं।
कभी थे दीन हीन अब पक्के मकान और शानो शौकत भरी है संचालकों की जिंदगी..
पत संस्था के बुजुर्ग एजेंट रामभाऊ भास्कर कायरकर और अन्य एजेंटों ने बताया कि पतसंस्था के संचालक प्रवीण प्रमोद ढोमने, समीत कालिका शंकर चक्रवर्ती, प्रकाश बाबूराव वड़ीचार, पंकज सुरेश वंजारी, विजय मानिकराव करंडे, नितेश दरियाव बिसेन, दिनेश नंदलाल टेकाम, बबनराव केशव राव रोकड़े, संजय परसराम खांडेकर, पंकज विश्वनाथ मेश्राम, अनिशा चंद्रकांत ढोमने, ज्योति रामभाऊ सोनवाने, वैशाली सदानंद रहांगडाले में से अधिकांश की आर्थिक स्थिति बहुत साधारण थी, परंतु 2009 से 2017 तक जबकि पत संस्था में लोगों के करोड़ों निवेश किये गए, जिसके बाद सबने अपने बड़े बड़े मकान बना लिए और करोड़पति बन गए जबकि उसके बाद 2018 में फिर चुनाव हुए जिसमें प्रवीण प्रमोद ढोमने, कालिका शंकर चक्रवर्ती, पंकज सुरेश, नितेश दरियाव बिसेन, बबनराव केशव राव रोकड़े, योगेश विश्वनाथ मेश्राम, अनिर्षा चंद्रकांत ढोमणे, अपर्णा निरज करंडे, लेखराम पतिराम चनाप, दर्शन किशोर देशभ्रतार यह जो संचालक लोग हैं जिन्होंने सामान्य निवेशकों के करोड़ों करोड़ों रुपए का गबन कर अन्य प्रॉपर्टी, सोना चांदी खरीद रखी है। इन सभी की सीआईडी जांच होनी चाहिए और संचालक जिन्होंने अपने नाम कुछ ना कर अपने परिवार अपने रिश्तेदारों के नाम से बड़े बड़े निवेश किए हैं इसकी भी संपूर्ण जांच हो कर संत नरहरी पत संस्था के अभी तक 2009 और 2018 में सभी संचालकों पर एमपीआयडी कानून के तहत कार्रवाई कर ग्राहक संरक्षण कानुन के अंतर्गत कार्रवाई कर जब तक गरीब लोगों के पैसे नहीं मिलते, तब तक इनको जमानत ना देते हुए इनके द्वारा गत वर्षों में अर्जित की गई संपत्ती की निलामी कर संपूर्ण राशि निवेशकों को लौटाई जानी चाहिये।
री ऑडीट के नाम पर एजेंट और निवेश्कों को घुमाने का काम किया जा रहा..
गौरतलब है कि पिछले 12 महीने से पतसंस्था कार्यालय में ताला लगाकर कर्मचारी और संचालक रफूचक्कर हो गए है। इसकी शिकायत सहायक निबंधक व रामनगर पुलिस स्टेशन में 17 फरवरी 2020 को की गई थी लेकिन लगभग 10 माह बीत जाने के बाद भी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। अनेक लोग एक साथ पुलिस थाने में रिपोर्ट करने पहुंचे, शिकायत की, उसके साथ ही सहायक निबंधक के पास और डीडीआर के पास भी अनेक मर्तबा शिकायत की गई, लेकिन री ऑडीट के नाम पर एजेंट और निवेश्कों को घुमाने का काम किया जा रहा है, जिससे यह समझ में आ रहा है कि अपने किसी स्वार्थ की पूर्ति के चक्कर में सहायक निंबंधक और डीडीआर द्वारा संत नरहरी पत संस्था के संचालकों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है।

Share Post: