स्वास्थ्य सेवक प्रकाश चौरे को 6 माह नहीं मिला वेतन परिवार पर भुखमरी का संकट हुआ निर्माण

बुलंद गोंदिया।(महेश गायधने)– गोंदिया जिले के अर्जुनी मोरगांव तहसील के अंतर्गत आने वाले ग्राम चान्ना बाकटी के स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत तत्कालीन स्वास्थ्य सेवक सिद्धार्थ प्रकाश चौरे को स्वास्थ्य अधिकारी डॉ श्वेता कुलकर्णी द्वारा परेशान करने के उद्देश्य से 6 माह का वेतन नहीं निकाला गया जिससे उनके परिवार के समक्ष भुखमरी का संकट निर्माण हो गया है।
गौरतलब है कि गोंदिया जिले के अर्जुनी मोरगांव तहसील के अंतर्गत आने वाले ग्राम चान्ना बाकटी में कार्यरत तत्कालीन स्वास्थ्य सेवक सिद्धार्थ प्रकाश चौरे को बेवजह परेशान कर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ श्वेता कुलकर्णी द्वारा वेतन निकालने की कार्रवाई नहीं की जा रही है। इस संदर्भ में सिद्धार्थ चौरे द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार वे 24 नवंबर 2020 को कोरोना से संक्रमित हुए थे जिसके पश्चात पीठ के मनको में तकलीफ होने पर तुमसर के सिटी हॉस्पिटल में उपचार के लिए दाखिल हुए थे जिसके पश्चात 8 फरवरी 2021 को फिटनेस प्रमाण पत्र के अनुसार वे अपने कार्य पर पहुंच गए जिसके पश्चात 10 फरवरी 2021 को उनका तबादला जिला परिषद भंडारा के जिला स्थानांतरण होने पर कार्यमुक्त किया गया तथा 12 फरवरी 2021 को जिला परिषद भंडारा में अपना पदभार ग्रहण किया इस दौरान उनका वेतन दिसंबर 2020 जनवरी 2021 का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चान्ना बाकटी में सेवा प्रणाली द्वारा निकाला गया जिसे जिला स्तर पर भेजा गया जिसमें उनका 2 महीने का बिल एकत्रीकरण किया गया किंतु चान्ना बाकटी की वैद्यकीय अधिकारी डॉ श्वेता कुलकर्णी द्वारा जिला स्तर पर फोन कर बताया गया कि उनका 2 महीने का वेतन रिजेक्ट किया गया है। जिस पर उनसे बार-बार मिलने वह फोन पर संपर्क किए जाने पर एक लिपिक के माध्यम से पैसे की मांग की गई तथा उनका तबादला हुए 4 महीने होने के बावजूद उन्हें अंतिम वेतन प्रमाण पत्र (एलपीसी) नहीं मिलने से गत नवंबर माह से उनका वेतन नहीं मिल पाया है। जिसके चलते उनके परिवार के समक्ष भुखमरी का संकट निर्माण हो गया है इस संदर्भ में जिला स्वास्थ्य अधिकारी व जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी गोंदिया को भी लिखित में निवेदन दिया गया है। तथा वैद्यकीय अधिकारी डॉ श्वेता कुलकर्णी से अनेकों बार मुलाकात करने के लिए जाने पर वे कभी भी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में उपस्थित नहीं रहती तथा फोन नहीं उठाती जिसके चलते उन्हें मानसिक परेशानियां उठानी पड़ रही है। यदि इस दौरान उन पर या उनके परिवार पर किसी भी प्रकार की गंभीर स्थिति निर्माण होती है तो इसकी जिम्मेदार डॉक्टर कुलकर्णी ही रहेंगी जिस पर प्रशासन द्वारा कार्यवाही करने की मांग सिद्धार्थ चौरे द्वारा की गई है।

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