बेमिसाल था मनोहरभाई पटेल का व्यक्तिव

बुलंद गोंदिया। शिक्षा महर्षि व स्वनामधन्य नेता मनोहरभाई पटेल की 115 वीं जयंती पर सर्वत्र स्मरण किया जा रहा है. अपने लिए तो हर कोई जीता है।लेकिन दूसरों के प्रति समर्पित होना न केवल असंभव है, बल्कि इसकी मिसाल भी कहीं देखने को नहीं मिलेगी लेकिन मनोहरभाई पटेल इसके प्रतीक थे। जिन्होंने अपने जीवन के अभाव व कष्ट के दिनों में यह संकल्प किया था कि जब भी उनके अच्छे दिन आएंगे वे दिल खोलकर इसका उपयोग करेंगे और इस संदर्भ में जानकार बताते हैं, कि वे कमजोर आर्थिक हालातों के कारण स्वयं शिक्षा हासिल नहीं कर पाए थे पर जब संपन्न हुए तब इस संकल्प के चलते उन्होंने वंचितों को शिक्षा प्रदान करने के लिए जो प्रयास प्रारंभ किए उसने बाद में एक अभियान का रुप ले लिया और उन्होंने गोंदिया शिक्षण संस्था की स्थापना कर शिक्षा के क्षेत्र में जो कार्य किया उसके कारण गोंदिया ही नहीं भंडारा में भी न केवल प्राथमिक, माध्यमिक या उच्च बल्कि विभिन्न विषयों के महाविद्यालयों का जाल उन्होंने बिछा दिया और उनका वह सफर निरंतर आगे बढता रहा।
प्रफुल ने सफर को बढ़ाया 
सर्वाधिक उल्लेखनीय है कि उनके पुत्र पूर्व केंद्रीय मंत्री व सांसद प्रफुल पटेल ने अपने पिता की इस शैक्षणिक विरासत को गरिमामय ढंग़ से आगे बढ़ाने में कोई कसर बाकी नहीं रखी, आज यह संस्था केवल इन दो जिलों में ही नहीं बल्कि पूरे विदर्भ में अपनी एक विशिष्ठ पहचान के साथ निरंतर आगे प्रशस्त हो रही है। मनोहरभाई ने अपनी इच्छा शक्ति व पुरुषार्थ के भरोसे अपने जीवन को शुन्य से जिस तरह आगे बढाया वह सभी के लिए एक मिसाल बन गया और वे आर्थिक संपन्नता ही नहीं समर्पण, निष्ठा, कर्तव्य परायणता, विश्वसनियता, उच्च आदर्श व प्रखरता के प्रतीक बन गए। सार्वजनिक जीवन में उन्होंने व्यापक पैमाने पर जनता का स्नेह, अपनापन व विश्वास अर्जित किया और नगर परिषद के अध्यक्ष पद से लेकर विधायक व राजनीति में एक विशिष्ट छवि के साथ जिले या राज्य में ही नहीं राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी एक अलग प्रखरता स्थापित की थी।उस महामानव की जयंती के अवसर पर हम सभी उन्हें अपनी विनम्र श्रध्दांजलि अर्पित करते हैं।

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